भारत और कनाडा के रिश्तों में इन दिनों तनाव बढ़ता जा रहा है, और अब भारत ने कनाडा में अपने कांसुलर कैंप्स रद्द करने का फैसला लिया है। इस निर्णय के पीछे सुरक्षा कारणों को प्रमुख रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है। कनाडा के स्थानीय अधिकारियों द्वारा इन कैंप्स के लिए आवश्यक सुरक्षा मुहैया कराने से मना कर दिया गया था, जिसके कारण भारतीय कांसुलेट को यह कड़ा कदम उठाना पड़ा।
हाल ही में खालिस्तान समर्थक तत्वों द्वारा हिंदू समुदाय पर किए गए हमलों के दौरान इन कांसुलर कैंप्स के संचालन में भी रुकावट आई थी। इसके बाद भारतीय कांसुलेट ने स्थानीय अधिकारियों से सुरक्षा का आग्रह किया था, लेकिन उनकी ओर से सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थता जताई गई। इस परिस्थिति के चलते, भारतीय कांसुलेट ने तय किए गए कांसुलर कैंप्स को रद्द करने का निर्णय लिया।
कांसुलर कैंप्स का उद्देश्य भारतीय नागरिकों को कई जरूरी सेवाएं जैसे कि जीवन प्रमाण पत्र और अन्य प्रशासनिक सेवाएं प्रदान करना है। हालांकि, सुरक्षा के संकट को देखते हुए कांसुलट ने भविष्य में इस तरह के किसी भी कांसुलर कैंप का आयोजन केवल तब तक करने का निर्णय लिया है जब तक स्थानीय अधिकारियों से सुरक्षा की सही व्यवस्था नहीं हो जाती।
यह पहली बार नहीं है जब कनाडा में भारतीय कांसुलर कैंप्स को सुरक्षा कारणों से बाधित किया गया है। इससे पहले, वैंकूवर और सरे जैसे स्थानों पर भी इसी तरह की घटनाएं घटी थीं। भारतीय कांसुलट ने अपनी प्राथमिकता भारतीय समुदाय की सुरक्षा को बताया है और जब तक कड़े सुरक्षा इंतजाम नहीं होते, तब तक सभी आगामी कैंप्स रद्द रहेंगे।
कनाडा में खालिस्तानी समर्थक तत्वों द्वारा किए गए हमले, विशेषकर ब्रैम्पटन शहर में स्थित हिंदू सभा के मंदिर के बाहर हमला, इस तनाव का मुख्य कारण बने हैं। भारत ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर गहरी नाराजगी जताई है। इस हमले का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें खालिस्तानी समर्थक हिंदू समुदाय पर हिंसक हमले कर रहे हैं।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि ऐसे हमले चिंताजनक हैं और ऐसे तत्व किसी समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। ट्रूडो ने देशवासियों से अपील की है कि वे एकजुट होकर दिवाली मनाएं और कनाडा की एकता को मजबूत करें।
कनाडा में भारतीय कांसुलर सेवाओं के रुकने के कारण वहां के भारतीय नागरिकों को असुविधा का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन भारतीय कांसुलट ने सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए इस कदम को उठाया है।