राजस्थान विधानसभा चुनाव में तीस सालों से चला आ रहा राज बदलने का रिवाज कायम रहा और कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा। कांग्रेस ने जनता के लिए सात गारंटियों का ऐलान कर रिवाज बदलने की पूरी कोशिश की। इन गारंटियों से रिवाज तो नहीं बदला, लेकिन राज बदल गया।
भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों ने मुख्यमंत्री का चेहरा आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया था। चुनाव में भाजपा का चेहरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे। लेकिन, कांग्रेस को विधायकों के खिलाफ एंटीइंकम्बेंसी और टिकट वितरण में उनके चेहरे नहीं बदलने से सत्ता गंवानी पड़ी। बड़े नेताओं में शामिल अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे, किरोडी लाल मीना चुनाव जीत गए। कांग्रेस के कई मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष तो भाजपा के नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ सहित कई बड़े चेहरे विधानसभा नहीं पहुंच पाए। वहीं, कांग्रेस सरकार के मंत्रिमंडल के 26 सदस्यों में से 17 मंत्रियों को हार मिली है। प्रदेश की 200 में से 199 सीटों पर चुनाव हुआ था। भाजपा को 115 सीट के साथ पूर्ण बहुमत मिला। कांग्रेस 68 सीटों पर सिमटकर रह गई। श्रीकरणपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत कुन्नर के निधन के कारण वहां चुनाव स्थगित कर दिया गया था।
कांग्रेस विधायक दल की बैठक कल विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवा चुकी कांग्रेस के विधायक दल की बैठक 5 दिसंबर को होगी। प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने कहा कि बैठक में पार्टी के सभी नवनिर्वाचित विधायकों को बुलाया गया है। उन्होंने बताया कि विधायक दल की बैठक में पार्टी की आगामी रणनीति और चुनावी में मिली हार के कारणों की समीक्षा की जाएग