AI क्या है और इसका हथियारों में इस्तेमाल कैसे किया जाए?
“जब आप रोबो मशीन या ऑपरेशन थिएटर की बात कर रहे हों और दिमाग या दिल का ऑपरेशन रोबो कर रहा है वह अलग बात है, लेकिन जब आप ऐसी हथियार प्रणाली की बात कर रहे हों जो रोबो या AI से युद्ध मैदान में काम कर रही है तो सबसे बड़ी बात यह होगी कि अगर AI को सफल बनाना है तो आपको उस मशीन को कुछ बुद्धिमत्ता देनी होगी, उसे हथियार प्रणाली की जानकारी देनी होगी, इनपुट्स डालने होंगे। दुश्मन कैसा दिखता है, दुश्मन कैसा लगता है, दुश्मन किस फ्रीक्वेंसी से काम कर रहा है। यह सब मशीन में इनपुट दिया जाना चाहिए,” विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) प्रफुल्ल बख्शी ने Sputnik को बताया।
AI के इस्तेमाल से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी?
“हां, लड़ने की क्षमता बढ़ेगी,आपको हर जगह इंसान की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप अपनी सेना में कम लोगों से ज्यादा काम कर सकेंगे। यह सेना की ताकत को बढ़ा देगा, लेकिन फिर से एक बात उठती है यदि आप एक पायलट हैं और आप मानवीय कानून और वे सभी सिद्धांत जानते हैं जिनमें सैन्य आवश्यकता सहित आनुपातिकता, सीमा, पीड़ा के के सिद्धांत, वगैरह भी हैं। आपके टारगेट के पास किसी भी आपात स्थिति में आप हमले को रोक सकते हैं, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाले पूरी तरह से स्वायत्त हथियार हैं, वह भेद नहीं कर सकता कि वह हमला कर देगा,” प्रफुल्ल बख्शी ने बताया।
एथिकल आस्पेक्टस ऑफ AI
“संघर्ष के नैतिक पहलू तब सामने आते हैं जब आप जिनेवा समझौते का पालन करते हैं। जिनेवा कन्वेंशन बहुर आवश्यक है क्योंकि इसके माध्यम से संघर्ष में आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि मानव पीड़ा न्यूनतम हो या बिल्कुल न हो। किसी भी संघर्ष में नैतिक पहलू की जरूरत होती है और यहीं से समस्या उत्पन्न होती है। नैतिक मांगों को पूरी करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की एक सीमा है। तो यह संघर्ष हमेशा रहेगा,” विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) प्रफुल्ल बख्शी ने साक्षात्कार में बताया।
AI साइबर हमलों को रोकने में मदद करता है?
“साइबर खतरों का सामना करने के लिए एक मशीन को भी प्रोग्राम किया जाता है। मशीन की इस ट्रेनिंग में कितनी एडवांस प्रोग्रामिंग की जाती है, यह अभी पता नहीं चल पाया है। मेरा मतलब है कि कुछ देश इसमें बहुत उन्नत हैं, कुछ देश नहीं हैं। लेकिन यह प्रक्रिया बहुत ही कारगर है। यदि आप अपनी मशीन को साइबर हमलों के खिलाफ प्रशिक्षित कर सकते हैं, तो इसकी प्रक्रिया सामने आ रही है। और इन सबके अलावा आपको सिस्टम इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (EMP) फैक्टर को भी भूलना नहीं है जो आपके पूरे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को ब्लॉक कर सकता है। तो ऐसा हो सकता है,” विंग कमांडर ने बताया।
AI के लिए चुनौतियां
“AI की एकमात्र चुनौती है कि वह भेद नहीं कर सकता है कि लक्ष्य कहाँ है या लक्ष्य कौन है? अगर इसे सुलझाया जा सकता है तो कोई चुनौती नहीं बचेगी। दूसरी चुनौती यह है कि अगर आपके कंप्यूटर की तरह आपका पूरा ऑपरेशन सिस्टम जाम हो जाए या अगर मैं आपके कंप्यूटर को क्रैश कर दूँ तो कोई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काम नहीं करेगा क्योंकि पूरा सिस्टम कम्प्यूटरीकृत मशीनरी पर आधारित है, सब कुछ टूट जाएगा। तो इस समय ज्यादातर जगहों पर साइबर हमला होने का खतरा होता है अगर आपके पास सिस्टम साइबर प्रूफ है तभी आप जीत सकते हैं। लेकिन आप साइबर प्रूफ नहीं हो सकते। यही कारण है कि आप अर्थव्यवस्थाओं को क्रैश कर सकते हैं, आप वॉल स्ट्रीट की अर्थव्यवस्था को क्रैश कर सकते हैं, आप स्टक्सनेट अटैक कर सकते हैं। आप यह कर सकते हैं। तो फिलहाल आपको इसका मुकाबला करना होगा। यह बुनियादी चुनौती है और यह हमेशा किसी भी रूप में रहेगी,” रक्षा विशेषज्ञ प्रफुल्ल बख्शी ने बताया।