भारत के खिलाफ चीन कई तरह की कूटनीतिक साजिश कर रहा है। आशंका जताई गई है कि दक्षिण एशिया में खुलकर दखल के मौके तलाश रहा चीन अब भारत के बिना रीजनल फोरम बनाकर दबाव की नई रणनीति पर काम कर रहा है। हालांकि, नेपाल और अफगानिस्तान का रुख अभी रीजनल फोरम के पक्ष में नहीं है। लेकिन चीन और पाकिस्तान की साझा साजिश इस इलाके में भारत को परेशान करने की है। भारत ने स्थिति के अनुरूप सहयोगी देशों से संपर्क बढ़ाया है।
चीन ने कुछ दिन पहले पाकिस्तान के अलावा दक्षिण एशिया के दो अन्य देशों नेपाल और अफगानिस्तान के साथ कोविड-19 संकट के बहाने वर्चुअल बैठक की थी, लेकिन इसमें चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर और वन बेल्ट वन रोड इनीशिएटिव को लेकर भी चर्चा की गई। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस बैठक में पाकिस्तान के साथ अपनी दोस्ती की मिसाल देते हुए नेपाल और अफगानिस्तान से भी सहयोग बढ़ाने को कहा था।
सूत्रों ने कहा, चीन जिस तरह की नीति अपना रहा है उससे भारत पूरी तरह सतर्क है। भारत ने बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, अफगानिस्तान जैसे देशों में अपना राजनयिक संपर्क बढ़ाया है। नेपाल पर भी भारत का रुख बहुत सधा हुआ है, लेकिन नेपाल का रुख डांवाडोल बना हुआ है।
नए नक्शे पर यूएन की मान्यता पाने में जुटा नेपाल :
नेपाल ने किसी तरह के रीजनल फोरम की संभावना से तो इनकार किया है, लेकिन उसने नए नक्शे को संयुक्त राष्ट्र में मान्यता दिलाने के लिए प्रयास शुरू करने की बात कही है। वह अपना नया नक्शा, जिसमें उसने हाल में कालापानी, लिपुलेख को शामिल किया है, संयुक्त राष्ट्र को देगा। गोरखा रेजीमेंट पर विचार की बात भी नेपाल के विदेश मंत्री द्वारा कही गई है। इन सब बातों को सीधे चीन से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है चीन भारत पर दबाव बनाने के लिए तमात तरह के हथकंडे अपना रहा है।