जब पूरा देश रविवार को गणतंत्र दिवस मना रहा था, ठीक उसी वक्त उत्तराखंड के रुड़की में शर्मनाक घटनाक्रम ने पूरे देश को हिला दिया। खानपुर से बीजेपी के पूर्व विधायक प्रणव सिंह चैंपियन ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और मौजूदा निर्दलीय विधायक उमेश कुमार के ऑफिस पर फायरिंग की। इस घटना ने रुड़की में दहशत फैला दी।
कुछ ही देर बाद, उमेश कुमार का वीडियो वायरल हो गया, जिसमें वह हाथ में पिस्टल लेकर प्रणव चैंपियन का पीछा करते नजर आए। इससे भी चौंकाने वाला दृश्य तब देखने को मिला जब उत्तराखंड पुलिस चैंपियन को गिरफ्तार करने के बजाय उनकी ‘मेजबानी’ करती नजर आई।
सोशल मीडिया से सड़क तक पहुंचा विवाद
उमेश कुमार और प्रणव चैंपियन के बीच कई दिनों से सोशल मीडिया पर तीखी बहस चल रही थी। शनिवार रात को इस बहस ने नया मोड़ ले लिया जब उमेश कुमार अपने समर्थकों के साथ चैंपियन के घर पहुंचे। बताया गया कि चैंपियन उस वक्त घर पर मौजूद नहीं थे, जिसके बाद उमेश वापस लौट गए।
रविवार को चैंपियन ने इसका बदला लेने की ठानी। वह अपने समर्थकों के साथ उमेश कुमार के ऑफिस पहुंचे और वहां ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। घटना की जानकारी मिलते ही उमेश कुमार गुस्से से उबल पड़े और पिस्टल लेकर चैंपियन का पीछा करने लगे। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और पूरे देश में बहस का मुद्दा बन गया।
चैंपियन की गिरफ्तारी पर सवाल
पूर्व विधायक प्रणव चैंपियन की गिरफ्तारी ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए। वायरल वीडियो में चैंपियन को थाने के बाहर खड़े होकर पुलिस अधिकारियों से हंसी-मजाक करते और हाथ मिलाते देखा गया। पुलिसकर्मी हाथ पीछे बांधे चैंपियन की बातें सुनते नजर आए।
हालांकि, हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र डोभाल ने कहा कि चैंपियन को भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है। साथ ही, चैंपियन की शिकायत पर विधायक उमेश कुमार के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। दोनों नेताओं के हथियारों के लाइसेंस निलंबित करने की सिफारिश की गई है।
चैंपियन का विवादों से पुराना नाता
प्रणव सिंह चैंपियन का विवादों से पुराना संबंध रहा है। यह कोई पहली बार नहीं है जब वह फायरिंग या अनुशासनहीनता के कारण सुर्खियों में आए हैं।
2006: बहादरबाद में रोडवेज बस ड्राइवर पर फायरिंग की।
2010: मंगलौर में एक कार्यक्रम के दौरान गोली चलाई।
2013: तत्कालीन मंत्री हरक सिंह रावत के घर पर डिनर के बाद गोली चलाई, जिसमें एक व्यक्ति घायल हुआ।
2017: दिल्ली के उत्तराखंड सदन में पिस्टल लेकर डांस करते वीडियो वायरल हुआ, जिसके कारण उन्हें बीजेपी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।
2019: उत्तराखंड सदन में एक पत्रकार को थप्पड़ मारने का आरोप।
कौन हैं उमेश कुमार?
उमेश कुमार ने 2022 में खानपुर से निर्दलीय चुनाव जीतकर विधायक का पद हासिल किया। वह पहले पत्रकार थे और कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग ऑपरेशन में उनकी भूमिका ने उन्हें रातोंरात प्रसिद्ध कर दिया।
अपने कार्यालय पर हुए हमले के बाद उमेश कुमार ने कहा, “यह खुली गुंडागर्दी है। हार से बौखलाया आदमी ऐसा ही करता है। अगर प्रशासन ने उचित कार्रवाई नहीं की, तो मैं उनके महल में आग लगा दूंगा।”
जनता और कानून व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने न केवल गणतंत्र दिवस की गरिमा को धूमिल किया है, बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर लोग पुलिस की भूमिका और नेताओं की दबंगई पर नाराजगी जता रहे हैं।
फिलहाल, दोनों नेताओं पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। यह देखना बाकी है कि क्या दोषियों को सजा मिलती है या यह घटना भी राजनीतिक रसूख के आगे दबकर रह जाएगी।